"न जायते म्रियते वा कदाचि, नायं भूत्वा भविता वा न भूय:
अजो नित्य: शाश्वतोऽयं पुराणो, न हन्यते हन्यमाने शरीरे "
अर्थात आत्मा न तो कभी जन्मती है, न कभी मरती है; एक बार अस्तित्व में न होने के बाद, क्या यह कभी भी समाप्त नहीं होता है. आत्मा बिना जन्म, शाश्वत, अमर और अडिग है. शरीर के नष्ट होने पर यह नष्ट नहीं होता है.
किसी ने सत्य ही कहा है मृत्यु सत्य है और शरीर नश्वर हैं,यह जानते हुए भी अपनों के जाने का दुःख होता हैं. यह संसार प्रकृति के नियमों के अधीन हैं, और परिवर्तन एक नियम है शरीर तो मात्र एक साधन है. महोबा, उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय संयोजक भाजपा मत्स्य प्रकोष्ठ, कानपुर एवं महोबा नगर के प्रभारी कालीचरन रैकवार जी ने बताया कि अभिषेक मिश्रा जी की माता जी के दुखद निधन की सूचना प्राप्त हुई. सूचना मिलते ही अभिषेक जी से बात कर उनका हौसला बढाया और कहे कि मैं इस दुःख की घड़ी में हमेश तुम्हारे साथ खड़ा हूँ.
महोबा नगर के प्रभारी कालीचरन रैकवार जी ने दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि मैं समझ सकता हूँ कि आप अपनी माँ के अचानक निधन पर कैसा महसूस कर रहे होंगे. एक व्यक्ति जो इस धरती से विदा लेता है,वह वास्तव में कभी नहीं छोड़ता है,क्योंकि वे अभी भी हमारे दिल में जीवित हैं,हमारे माध्यम से, वे जीवित हैं. हम आपके और आपके परिवार के लिए प्रार्थना करेंगे. साथ ही हम सभी को मिलकर भगवान से प्रार्थना करना चाहिए कि वह आपकी माँ की आत्मा को शांति प्रदान करें.
ह्रदय को अत्यंत पीड़ा देने वाले इस दुःख की घडी में ईश्वर से नम्र प्रार्थना करते है कि दिवंगत आत्मा को परमशांति और मोक्ष प्राप्त हो तथा उसके स्नेहीजन इस कठीन परिस्थिति में साहस और संयम प्राप्त करे.
ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दें!
ॐ शांति !