अरविन्द घोष एक योगी एवं दार्शनिक थे। वे 15
अगस्त 1742 को कोलकत्ता में जन्मे थे। इनके पिता एक डाक्टर थे।
इन्होंने युवा अवस्था में स्वतन्त्रता संग्राम में क्रान्तिकारी के रूप में भाग
लिया, किन्तु बाद में यह एक योगी बन गये और इन्होंने
पांडिचेरी में एक आश्रम स्थापित किया। वेद, उपनिषद ग्रन्थों आदि पर टीका लिखी। योग साधना पर मौलिक ग्रन्थ लिखे।